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New Education Policy and Library (नई शिक्षा नीति और पुस्तकालय) by Reena Singh

 नई शिक्षा नीति और पुस्तकालय

 New Education Policy and Library by Reena Singh

MS. Reena Singh 
(Research Scholar)
Dr.Bhim Rao Ambedkar university, Agra

प्रस्तावना

प्राचीन भारत में जिस शिक्षा व्यवस्था का निर्माण किया गया था वह समकालीन विश्व की शिक्षा व्यवस्था से समुन्नत व उत्कृष्ट थी लेकिन कालान्तर में भारतीय शिक्षा का व्यवस्था ह्रास हुआ। विदेशियों ने यहाँ की शिक्षा व्यवस्था को उस अनुपात में विकसित नहीं किया, जिस अनुपात में होना चाहिए था। अपने संक्रमण काल में भारतीय शिक्षा को कई चुनौतियों व समस्याओं का सामना करना पड़ा है। आज भी ये चुनौतियाँ व समस्याएँ हमारे सामने हैं जिनसे दो-दो हाथ करना है। जीवन में शिक्षा के महत्त्व को देखते हुए गुणवत्तापूर्ण शिक्षा उपलब्ध कराने के उद्देश्य से वर्तमान सरकार ने शिक्षा क्षेत्र में व्यापक बदलावों के लिये नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति को मंजूरी दे दी है। करीब तीन दशक के बाद देश में नई शिक्षा नीति को मंजूरी दी गई कि यह शिक्षा नीति शिक्षा क्षेत्र में नवीन और सर्वांगीण परिवर्तनों की आधारशिला रखेगी। कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 को तैयार करने के लिये विश्व की सबसे बड़ी परामर्श प्रक्रिया आयोजित की गयी थी। विभिन्न शिक्षाविदों के अनुभव तथा के- कस्तूरीरंगन समिति की सिफारिशों के आधार पर शिक्षा तक सबकी आसान पहुँच, समता, गुणवत्ता, वहनीयता और जवाबदेही के आधारभूत स्तंभों पर निर्मित यह नई शिक्षा नीति सतत विकास के लिये एजेंडा 2030 के अनुकूल है और इसका उद्देश्य 21वीं शताब्दी की आवश्यकताओं के अनुकूल स्कूल और कॉलेज की शिक्षा को अधिक समग्र- लचीला बनाते हुए भारत को एक ज्ञान आधारित जीवंत समाज और वैश्विक महाशक्ति में बदलकर प्रत्येक छात्र में निहित अद्वितीय क्षमताओं को सामने लाना होगा। नवीन शिक्षा नीति 2020 नीति के अनुसार - ‘शिक्षा पूर्ण मानव क्षमता प्राप्त करने, एक न्यायसंगत और न्यायपूर्ण समाज के विकास और राष्ट्रीय विकास को बढ़ावा देने के लिए मौलिक है। गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के लिए सार्वभौमिक पहुँच प्रदान करना आर्थिक वृद्धि, सामाजिक न्याय और समानता, वैज्ञानिक उन्नति, राष्ट्रीय एकीकरण और सांस्कृतिक संरक्षण के संदर्भ में वैश्विक मंच पर भारत के निरंतर चढ़ाई और नेतृत्व की कुंजी है।तकनीकी तौर पर देखा जाए तो स्वतंत्र भारत में अभी तक दो शिक्षा नीति लागू हुई है. कोठारी आयोग के सिफारशों के आधार पर भारत सरकार द्वारा 1968 में पहली राष्ट्रीय शिक्षा नीति की घोषणा की गयी थी जिसमें 6 से 14 वर्ष की आयु के सभी बच्चों को अनिवार्य शिक्षा,शिक्षकों के बेहतर क्षमतावर्धन के लिए उचित प्रशिक्षण और मातृभाषा में शिक्षण पर विशेष जोर दिया गया था. परन्तु इन प्रस्तावों को पूर्णरूपेण लागू नहीं किया जा सका. इसमें 21वीँ सदी की आवश्यकताओं के अनुरूप बच्चों में आवश्यक कौशलों तथा योग्यताओं के विकास पर जोर देने की बात की गयी थी. प्राचीन और सनातन भारतीय ज्ञान और विचार की परम्परा के आलोक में यहाँ नीति तैयार की गयी है तक्षशिला,नालंदा

,विक्रमशिला और वल्लभी जैसे प्राचीन भारत के विश्व स्तरीय संस्थानों ने अध्ययन के विविध क्षेत्रो में शिक्षण और शोध के ऊचें प्रतिमान स्थापित किये थे इसी शिक्षा व्यवस्था ने चरक, सुश्रुत आर्यभट, वराहमिहिर भास्करचार्य, ब्रह्मगुप्त,चाणक्य,माधव, पाणिनी पतंजलि,नागार्जुन,गौतम ,गार्गी ,जैसे अनेको महान विद्वानों को जन्म दिया इन विद्धानों ने वैश्विक स्तर पर ज्ञान के विविध क्षेत्रों, जैसे गणित, खगोल विज्ञान, धातु विज्ञान, चिकित्सा विज्ञान, सिविल इंजीनियरिंग, भवन निर्माण, दिशा ज्ञान योग, ललित कला, शंतरज इत्यादि में प्रमाण रूप से मौलिक योगदान किये हैं।

देश में इस तरह का पहला दस्तावेज साल 1968 में बना था, जिसे जाने-माने वैज्ञानिक डीएस कोठारी की अध्यक्षता में बनी एक समिति की सिफारिशों के आधार पर तैयार किया गया था इसके बाद 1986 में दूसरी शिक्षा नीति आई, जिसे साल 1992 में संशोधित किया गया था, अब साल 2020 में ये तीसरी शिक्षा नीति आई है- प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी की अध्यक्षता में मंत्रिमंडल की बैठक में 21वीं सदी की नई शिक्षा नीति को मंजूरी दी गई। जिसके अंतर्गत सरकार ने एजुकेशन पॉलिसी में काफी सारे मुख्य बदलाव किए हैं। नई नेशनल एजुकेशन पॉलिसी के माध्यम से भारत को वैश्विक ज्ञान महाशक्ति बनाना है। पहले 10़़़़2 का पैटर्न फॉलो किया जाता था परंतु अब नई शिक्षा नीति के अंतर्गत 5़3़3़4 का पैटर्न फॉलो किया जाएगा। यह राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2014 के आम चुनाव में भारतीय जनता पार्टी का घोषणा पत्र में शामिल था। नई शिक्षा नीति 2020 भारत की शिक्षा नीति है जिसे भारत सरकार द्वारा 29 जुलाई 2020 को घोषित किया गया। सन 1986 में जारी हुई नई शिक्षा नीति के बाद भारत की शिक्षा नीति में यह पहला नया परिवर्तन है। यह नीति अंतरिक्ष वैज्ञानिक के- कस्तूरीरंगन की अध्यक्षता वाली समिति की रिपोर्ट पर आधारित है। केंद्रीय मंत्रिमंडल ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 को मंजूरी दी और मानव संसाधन विकास मंत्रालय का नाम बदलकर शिक्षा मंत्रालय कर दिया गया है। केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर और रमेश पोखरियाल ‘निशंक‘ ने घोषणा करते हुए कहा कि सभी उच्च शिक्षा संस्थानों के लिए एक ही नियामक होगा व एमफिल को खत्म किया जाएगा। उच्च शिक्षा सचिव अमित खरे ने कहा कि डिजिटल लर्निंग को बढ़ावा देने के लिए एक राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी मंच (छम्ज्थ्)बनाया जाएगा। ई-पाठ्यक्रम (ई-कोर्सिस) शुरू में आठ क्षेत्रीय भाषाओं में विकसित किया जायेगा और वर्चुअल लैब विकसित की जाएगी। भारत की नयी शिक्षा नीति 2020 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में कैबिनेट ने 29 अगस्त को मंजूरी दी गयी है। इस नयी शिक्षा नीति का मसौदा पूर्व इसरो प्रमुख के- कस्तूरीरंगन की अध्यक्षता में विशेषज्ञों की एक समिति ने तैयार किया है 29 जुलाई 2020 को, केंद्रीय मंत्रिमंडल ने नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति (छम्च्) को मंजूरी देने की घोषणा की गयी नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति में बहुत सारे बदलाव हुए हैं। भारत में 34 साल बाद नई शिक्षा नीति आई है। मोदी सरकार ने 2016 से ही नई शिक्षा नीति लाने की तैयारियां शुरू कर दी थी और इसके लिए टीएसआर सुब्रहमण्यम कमेटी का गठन भी हुआ था, जिन्होंने मई, 2019 में शिक्षा नीति का अपना मसौदा (ड्राफ्ट) केंद्र सरकार के सामने रखा है। लेकिन सरकार को वह ड्राफ्ट पसंद नहीं आया। इसके बाद सरकार ने वरिष्ठ शिक्षाविद् और जेएनयू के पूर्व चांसलर के- कस्तूरीरंगन की अध्यक्षता में एक नौ सदस्यीय कमेटी का गठन किया।

  • ऽ वसुधा कामत, पूर्व कुलपति, एसएनडीटी महिला विश्वविद्यालय, मुंबई।
  • ऽ मंजुल भार्गव, आर ब्रैंडन फ्राड गणित के प्रोफेसर, प्रिंसटन विश्वविद्यालय, यूएसए।
  • ऽ राम शंकर कुरेल, पूर्व संस्थापक वीसी, बाबा साहेब अम्बेडकर यूनिवर्सिटी ऑफ सोशल विज्ञान, मध्य प्रदेश।
  • ऽ टी. वी.कट्टीमनी, कुलपति, इंदिरा गांधी राष्ट्रीय जनजातीय विश्वविद्यालय, अमरकंटक, मध्य प्रदेश।
  • ऽ कृष्ण मोहन त्रिपाठी, शिक्षा निदेशक (माध्यमिक) और पूर्व अध्यक्ष, उत्तर प्रदेश हाई स्कूल और इंटरमीडिएट परीक्षा बोर्ड, उत्तर प्रदेश।
  • ऽ मजहर आसिफ, प्रोफेसर, फारसी और मध्य एशियाई अध्ययन केंद्र, स्कूल ऑफ लैंग्वेज, साहित्य और संस्कृति अध्ययन, जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय, नई दिल्ली।
  • ऽ एम. के. श्रीधर, पूर्व सदस्य सचिव, कर्नाटक ज्ञान आयोग, बेंगलुरु,कर्नाटक ।

नई शिक्षा नीति के निर्माण के लिये जून 2017 में पूर्व इसरो (प्ैत्व्) प्रमुख डॉ. के. कस्तूरीरंगन की अध्यक्षता में एक समिति का गठन किया गया था, इस समिति ने मई 2019 में राष्ट्रीय शिक्षा नीति का मसौदा प्रस्तुत किया था।राष्ट्रीय शिक्षा नीति (छम्च्), 2020‘ वर्ष 1968 और वर्ष 1986 के बाद स्वतंत्र भारत की तीसरी शिक्षा नीति होगी। 1986 की शिक्षा नीति,जिसे 1992में संशोधित किया गया था,कुछ अधूरे काम को इस नीति के दुवारा पूरा करने का प्रयास किया गया है।

भारत में स्वतंत्रता के बाद बनी शिक्षा समितियां-

  • ऽ डॉ. एस. राधाकृष्णनन् आयोग-साल 1948-49-विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) की स्थापना।
  • ऽ मुदालियर शिक्षा आयोग-साल 1952-53-इसे माध्यमिक शिक्षा आयोग भी कहा जाता है
  • ऽ डॉ. डीएस कोठारी आयोग -साल 1964-इसमें सामाजिक उत्तरदायित्व व नैतिक शिक्षा पर ध्यान दिया गया
  • ऽ राष्ट्रीय शिक्षा नीति पर पुनर्विचार -1992-एक सजग व मानवतावादी समाज के लिए शिक्षा का इस्तेमाल। इसे आचार्य राममूर्ति समिति भी कहा जाता है।
  • ऽ एम.बी.बुच समिति-साल 1989-दूरस्थ शिक्षा माध्यम पर बनी पहली शिक्षा समिति।
  • ऽ जीराम रेड्डी समिति-साल 1992-दूरस्थ शिक्षा पर केन्द्रीय परामर्श समिति।
  • ऽ प्रोफेसर यशपाल समिति-1992-बोझमुक्त शिक्षा की संकल्पना।
  • ऽ रामलाल पारेख समिति-1993-बीएड पत्राचार समिति।
  • ऽ प्रो- खेरमा लिंगदोह समिति -1994-पत्राचार बीएड अवधि 14 माह तय की गई।
  • ऽ प्रो.आर टकवाले समिति-साल 1995 -सेवारत अध्यापकों हेतु पत्राचार से बीएड।
  • ऽ राष्ट्रीय ज्ञान आयोग-2005-ज्ञान आधारित समाज की संकल्पना व प्राथमिक स्तर से अंग्रेजी माध्यम में शिक्षा को अनिवार्य करने की सिफारिश की गई।
  • ऽ जस्टिस जे.एस. वर्मासमिति-साल 2012-शिक्षकों की क्षमता की समय-समय पर जाँच।
  • ऽ राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2017-राष्ट्रीय शिक्षा नीति, 2017 का मसौदा तैयार करने के लिए प्रख्यात अंतरिक्ष वैज्ञानिक एवं पद्मविभूषण डॉ.के. कस्तूरीरंगन की अध्यक्षता में 9 सदस्यीय समिति का गठन किया गया है।

नवीन शिक्षा नीति के उद्देश्य-

ऽ नवीन शिक्षा नीति 2020 का उद्देश्य शिक्षा प्रणाली मंे आधुनिकता के मिश्रण के साथ-साथ देश की संस्कृति और अखण्डता में सुधार करना।

  • ऽ क्षेत्रीय और स्थानीय भाषाओं को बढ़ावा दिया जायेगा।
  • ऽ तकनीकी शिक्षा, आॅनलाईन शिक्षा, डिजीटल शिक्षा।
  • ऽ छात्रों के लिए वित्तीय सहायता।
  • ऽ नवीन शिक्षा नीति का उद्देश्य ‘‘भारत को वैश्विक ज्ञान महाशक्ति’’ बनाना है।
  • ऽ भारतीय कला, भाषाओं और संस्कृति को सभी स्तरों पर बढ़ावा दिया जायेगा।

ढँाचा-

नई शिक्षा नीति में नया सर्कुलर और शैक्षिणक सरंचना का प्रस्ताव है। जिसमें 5334 डिजाइन है। जोकि आयु वर्ग के अनुसार 3-18 वर्ष के बच्चों को कवर करता है। नवीन शिक्षा नीति 2020 के चरण कुछ इस प्रकार है।

1. फाउंडेशन स्टेज

  •  3 से 8 साल तक के बच्चों के लिए है।
  •  जिसे 3साल की प्री स्कूल शिक्षा तथा 2साल की स्कूली शिक्षा ;कक्षा 1ओैर 2 शामिल है।
2. प्रिप्रेटरी स्टेज
  •  इसमें 8 साल से 11 साल तक के बच्चे आएगे जिसमे कक्षा 3 से 5 तक के बच्चे शामिल है।  इस स्टेज में बच्चों को क्षेत्रीय भाषा मे पढाया जाएगा

3. मिडिल स्टेज

  •  इसमे कक्षा 6 से 8 तक के बच्चे आएगे
  •  इसमे बच्चों को कोडिग सिखाई जाएगी उन्हें व्यवसायिक परीक्षण के साथ साथ इटर्नशिप भी प्रदान की जाएगी।

4. सेंकेंडरी स्टेज

  •  इसमे कक्षा 9 से 12 तक के बच्चे आयेगे
  •  इस नीति मे बच्चे अपनी पंसद का सब्जेक्ट ले सकते है। जैसे सांइस के साथ काॅमर्स का, या फिर काॅमर्स के साथ आर्टस भी ले सकते हैं।

नई शिक्षा नीति और पुस्तकालय -

किसी समाज की प्रगति और विकास के लिए पुस्तकालय बहुत महत्वपूर्ण है। वे ज्ञान के भंडार है पुस्तकालय पढ़ने की आदतों को विकसित करने के लिए मदद करते हैं। पुस्तकालय व्यक्तित्व विकास में भी मदद करते है। एक सभ्य समाज के लिए पुस्तकालय महत्वपूर्ण है। सूचना ,संचार और परिवर्तन के लिए पुस्तकालय बहुत महत्वपूर्ण है। पुस्तकालय लोगो के जीवन की प्रगति के लिए एक पठन संस्कृति को विकसित करने में मदद करते है। नवीन शिक्षा नीति में पुस्तकालयों को जीवंत बनाने की बात कही गयी है यह नीति अनुशसा करती है कि सभी समुदाय एवं शिक्षण संस्थान-विद्यालय ,महाविद्यालय, और विश्वविद्यालय में ऐसी पुस्तकों समुचित आपूर्ति सुनिशिचत की जाएगी जो की सभी शिक्षार्थियो-जिसमें निशक्तजन एवं विशेष शिक्षार्थी भी शामिल हैं नवीन शिक्षा नीति में ये भी कहा गया है कि हर विद्यार्थी की पुस्तकों तक पहुच हो व पुस्तकों का मूल्य सभी के खरीद सकने के सामथ्र्य के अंदर हो। सार्वजनिक व निजी दोनों प्रकार के संस्थानों में पुस्तकों की गुणवक्ता एवं आकर्षण बनाना जिससे विद्यार्थी उन पुस्तकों का उपयोग कर सकें। पुस्तकालय में पुस्तकालय स्टाफ की भी उपलब्धता हो। और इसमें बच्चों को किताब पढ़ने और घर ले जाकर पढ़ने के लिए प्रोत्साहित करने व सप्ताह में एक बार विद्यालय में पढ़ी गई किताब के बारे में अपने अनुभवों को साझा करने का अवसर देने की बात भी कही गई है। शिक्षण संस्थानों और पुस्तकालयों में आपसी सहयोग बढाना होगा। नवीन शिक्षा नीति में गुणवक्ता पूर्ण प्रौद्योगिकी-आधारित ऑनलाइन किताबे, आई.सी.टी से सुसजित पुस्तकालय आदि विकसित किये जायेंगे। व्यापक पठन और समुदायिक विकास का समर्थन करने के लिए देश भर में अधिक से अधिक बच्चों के लिए पुस्तकालय और मोबाइल पुस्तकालय और सामाजिक पुस्तकलगों की स्थापना की जायेगी विशेष रूप से गैर-विद्यालय के घण्टों के दौरान गाँव में समुदाय और छात्रों की सेवा के लिए, आईसीटी से सुसज्जित स्कूल/सार्वजनिक पुस्तकालय स्थापित किये जायेंगे। व्यापक पठन को बढ़ावा देने के लिए बुक क्लब सुविधाएं विकसित की जायेंगी। शैक्षणिक संस्थानों के दिल हैं और सरकार पुस्तकों, पत्रिकाओं और अन्य शिक्षण सामग्री जैसे पठन सामग्री की खरीद को मजबूत और बढ़ाएगी। डिजिटल पुस्तकालयों को आगे बढ़ाने और पुस्तकालय पुस्तकों की आॅनलाइन पहुँच के लिए कदम उठाये जायेंगे। देश भर में पढ़ने की संस्कृति के निर्माण के लिए सार्वजनिक और स्कूल पुस्तकालयों का विस्तार किया गया है। शिक्षा नीति में यह कहा गया है कि ’’पुस्तकालय के आस-पास गतिविधियाँ होनी चाहिए जैसे- कहानी, रंगमंच, समूह में पढ़ना, लिखना और बच्चों के द्वारा लिखी गई मौलिक सामग्री और कलाओं का प्रदर्शन करना प्राथमिक स्तर पर विद्यालयों में लाईबेरी की मौजूदगी में स्थान दिया गया। भारत सरकार ने जुलाई 2020 को नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति की घोषणा की थी पुस्तकालय प्रमुख रूप से एक सेवा प्रदायक संस्था है। और पुस्तकालयाध्यक्षता एक सेवा उन्मुख व्यवसाय है। अपने उद्देश्य की प्राप्ति के लिए कई प्रकार की सेवाएँ पुस्तकालय द्वारा प्रदान की जाती हैं आधुनिक युग में कम्प्यूटर और सूचना प्रौद्योगिकी के

विकास के फलस्वरूप पुस्तकालय सेवाओं को पूरा स्वरूप ही बदल गया सूचना प्रौद्योगिकी ने पुस्तकालय की अधिकंाश परम्परागत सेवाओं को प्रभावित किया है और इन सेवाओं के स्वरूप को बदलकर पूर्णरूप से उच्च तकनीकी युक्त बनाया जायेगा किसी भी पुस्तकालय द्वारा प्रदान की जाने वाली सेवाएं पुस्तकालय के प्रकार, पाठ्कों की प्रकृति और पुस्तकालय के संग्रह पर निर्भर करती है। अतः उसी के अनुरूप पुस्तकालय द्वारा प्रदान की जाने वाली सेवाएं भी भिन्न-भिन्न हो सकती है। जिसके द्वारा हमें बहुत सारी सेवाएं देनी होगी विद्यार्थियों को। एक राष्ट्रीय पुस्तक संवर्धन नीति तैयार की जाए और सभी स्थानों, भाषाओं, स्तरों और शैलियों में पुस्तकों की उपलब्धता, पहुँच, गुणवत्ता और पाठकों को सुनिश्चित करने के लिए व्यापक पहल की जाएगी। नवीन शिक्षा नीति पर ई-कंटेंट विकसित करने के लिए विश्वविद्यालय के प्रयासों की सरहना करते हुए कस्तूरीरगन ने कहा कि विडियो लाइब्रेरी बनाने की विश्वविद्यालय की योजना निकट भविष्य में शिक्षा नीति 2020 को लागू के लिए महत्वपूर्ण हैस यह सिर्फ किताबे पढ़ना नही है बल्कि उन किताबो को समझना ,विशलेषण करना, उसका अर्थ निकलना और उसके तात्पर्य को समझना है। एक पुस्तकालय - लर्निंग हब, जहां सीखने का वातावरण मौजूद है और छात्रों को विभिन्न प्रकार के सीखने के अनुभव प्रदान कर सकता है। जहां 21 वीं सदी के कौशल पर ध्यान केंद्रित किया जाता है, जिसमें व्यक्ति के चरित्र और व्यक्तित्व के मूल के रूप में होने वाले विघटन शामिल हैं नवीन शिक्षा नीति में पुस्तकालय निम्नलिखित पर जोर देता है, और वे हैं-

  • 1. सभी स्तरों पर छात्रों के लिए आनंददायक और प्रेरणादायक पुस्तकें विकसित की जाती हैं, जिनमें उच्च-गुणवत्ता अनुवाद (आवश्यकतानुसार तकनीक-सहायता) शामिल है
  • 2. देश भर में पढ़ने की संस्कृति बनाने के लिए सार्वजनिक और स्कूल पुस्तकालय।
  • 3. उच्चतर शिक्षण संस्थान स्वच्छ पेयजल, ब्लैक बोर्ड, कार्यालय, शिक्षण सामग्रियाँ, पुस्तकालय, प्रयोगशालाओं और सुखद कक्षा वातावरण आदि सुविधाओं से युक्त किया जायेगा।
  • 4. विद्यालयों के लिए पुस्तकालय समृद्ध बनाये जायेेंगे।
  • 5. बाल पुस्तकालय एवं चल पुस्तकालय खोले जायेंगे।
  • 6. डिजिटल पुस्तकालयों की स्थापना की जाए और गैर-विद्यालयीन समय के दौरान समुदाय की सेवा की जाए और व्यापक पढ़ने की सुविधा के लिए पुस्तक क्लब सार्वजनिक/स्कूल पुस्तकालयों में मिल सकते हैं।
  • 7. नेशनल बुक प्रमोशन पॉलिसी भौगोलिक क्षेत्रों, भाषाओं, स्तरों, और शैलियों की पुस्तकों की उपलब्धता, पहुंच, गुणवत्ता और पाठकों को सुनिश्चित करने के लिए व्यापक पहल करेगी।
  • 8. नवीन शिक्षा नीति द्वारा अनुशंसित पुस्तकालय का संग्रह समावेशी होना चाहिए और इसमें निम्नलिखित शामिल होने चाहिएः
  • 9. डिजिटल
  • 10. बहुभाषी
  • 11. बहु-स्तरीय किताबें
  • 12. द्विभाषी पुस्तकें
  • 13. वैश्विक साहित्य के साथ भारतीय साहित्य
  • 14. सभी भाषाओं में आधुनिक और शास्त्रीय साहित्य का मिश्रण
  • 15. जांच, महत्वपूर्ण सोच और समस्या को सुलझाने पर आधारित पुस्तकें
  • 16. भारतीय भाषाओं और अंतरराष्ट्रीय भाषाओं में उच्च गुणवत्ता वाले प्रसाद के अलावा, भाषा सीखने से छात्रों को दुनिया की संस्कृतियों के बारे में जानने और उनके वैश्विक ज्ञान को समृद्ध करने में मदद मिलती है।
  • 17. लोकगीत और विभिन्न राज्यों की कहानियां
  • 18. वैश्विक जागरूकता के लिए संसाधन

Reference -: 

  • • Aithal, P. S. & Suresh Kumar, P. M. (2016). Opportunities and Challenges for Private Universities in India. International Journal of Management, IT and Engineering (IJMIE), 6(1), pp. 88-113. DOI :http://doi.org/10.5281/zenodo.161157. 
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  • BhawnaBawa,http://www.yourarticlelibrary.com/education/11-salient-features-of-nationalpolicy- on-education-1986/76821 
  • • Bhojwani, Heeru. "Impact Of NEP 2020 On Teacher Librarian (India) - Heeru Bhojwani". Heeru Bhojwani, 2020, https://heerubhojwani.com/impact-of-nep-2020-on-teacher-librarian-india/. 
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