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उच्च शिक्षा में आईसीटी और पुस्तकालय की भूमिका Role of ICT and Library in Higher Education by Reena Rajpoot (Research Scholar) Dr.Bhim Rao Ambedkar University, Agra

उच्च शिक्षा में आईसीटी और पुस्तकालय की भूमिका
MS. Reena Singh 
(Research Scholar)
Dr.Bhim Rao Ambedkar university, Agra
सारांश
भारत  में  उच्च  शिक्षा  का  सामान्य  परिदृश्य  वैश्विक  गुणवत्ता  मानकों  के  बराबर  नहीं  है।  इसलिए , देश  के  शैक्षिक  संस्थानों  की  गुणवत्ता  के  बढ़ते  मूल्यांकन  के  लिए  पर्याप्त  औचित्य  है।पुस्तकालय एवं सूचना विज्ञान की शिक्षा के माध्यम से ही पुस्तकालयों का व्यस्थापन तथा संचालन हेतु योग्य और कुशल कर्मचारियों को तैयार किया जाता है। पुस्तकालय विज्ञान तकनीकी विषयों की श्रेणी में आता है तथा एक सेवा सम्बन्धी व्यवसाय है। यह प्रबंधन, सूचना प्रौद्योगिकी, शिक्षाशास्त्र एवं अन्य विधाओं के सिद्धान्तो एवं उपकरणों का पुस्तकालय के सन्दर्भ में उपयोग करता है।पुस्तकालय विकासशील संस्था है क्योंकि उसमें पुस्तकों और अन्य आवश्यक उपादानों की निरंतर वृद्धि होती रहती है। इस कारण इसकी स्थापना के समय ही इस तथ्य पर ध्यान देना आवश्यक होता है। उच्च शिक्षा में बढ़ता नामांकन अनुपात तथा शिक्षा के विस्तार में प्रशिक्षित शिक्षकों की उपलब्धता में आई.सी.टी. की भूमिका पर नेशनल मिशन ऑफ एजुकेशन बल देता है। आई.सी.टी. के शिक्षा में अभिग्रहण के प्रमुख कारक है- किसी भी प्रणाली का लक्ष्य, कार्यक्रम और पाठ्यक्रम, पढ़ने तथा पढ़ाने के तरीके, अधिगम सामग्री और संसाधन, संवाद, समर्थन और वितरण प्रणाली छात्र एट्यूटर्स, स्टाफ और अन्य विशेषज्ञ, प्रबंधन और मूल्यांकन। अतः आई.सी.टी. के कार्यान्वयन से उच्च शिक्षा में निश्चित ही सुधार होगा
आईसीटी की भूमिका-:
प्रौद्योगिकीय अग्रिमों ने हमेशा जीवन स्तर, साक्षरता और स्वास्थ्य के बढ़ने की ओर अग्रसर किया है। वैश्वीकरण के 21 वें युग में आईसीटी (सूचना और संचार प्रौद्योगिकी) सामाजिक-आर्थिक विकास की एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। सूचना प्रौद्योगिकी और संचार प्रौद्योगिकी को स्वतंत्र रूप से विकसित किया गया था, लेकिन बाद में वे सामान्यतः सूचना और संचार प्रौद्योगिकी (आईसीटी) के रूप में संदर्भित एक नई सूचना पर्यावरण का निर्माण करने के लिए संयुक्त थे। आईसीटी सूचना प्रौद्योगिकी के बारे में संवाद करने और प्रबंधित करने के लिए उपयोग किए जाने वाले तकनीकी उपकरण हैं I आईसीटी के पुराने रूप में रेडियो और टेलीफोन शामिल हैं, जबकि इस शताब्दी में आईसीटी में कंप्यूटर का उपयोग, विभिन्न वायरलेस तकनीकों या प्रमुख उपकरण इंटरनेट शामिल हैं। आईसीटी को एक सूचना प्रबंधन उपकरण के रूप में भी माना जा सकता है, जो मूल रूप से विकासशील देशों में उनके विकास के लिए मुख्य रूप से उत्पादन, वितरण और आदान-प्रदान करता है। आईसीटी के उपकरण एक विशाल नेटवर्क का निर्माण करते हैं जो दुनिया के हर कोने तक पहुंचता है। अब आईसीटी (ICT) शब्द का प्रयोग टेलीफोन नेटवर्कों का कंप्यूटर नेटवर्कों के साथ एक एकल केबल या लिंक प्रणाली के माध्यम से संयुग्मन (अभिसरण) करने के लिए भी किया जाता है।
आईसीटी के उद्देश्य-:
आईसीटी के उपयोग को बढ़ावा देने के लिए विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों में माध्यमिक और उच्चतर माध्यमिक सरकारी स्कूलों में एक अनुकूल माहौल उत्पन्न करना। इसके लिए उपयोग उपकरणों का वृहद स्तर पर उपलब्धता, इंटरनेट कनेक्टिविटी और आईसीटी साक्षरता को बढ़ावा देना
  • निजी क्षेत्र व स्टेट इंस्टीट्यूट ऑफ एजुकेशनल टेक्नोलॉजी के माध्यम से अच्छी सूचनाओं की ऑनलाइन उपलब्धता सुनिश्चित करना,
  • शिक्षण व प्रशिक्षण के लिए वर्त्तमान पाठ्यक्रम व शिक्षणशास्त्र के संवर्द्धन के लिए सूचना व संचार प्रौद्योगिकी उपकरणों का उपयोग करना
  • उच्च अध्ययन और लाभकारी रोजगार के लिए जरूरी सूचना प्रौद्योगिकी से जुड़ी कुशलता प्राप्त करने में विद्यार्थियों को सक्षम बनाना
  • सूचना व संचार प्रौद्योगिकी के माध्यम से शारीरिक व मानसिक रूप से विकलांग छात्र-छात्राओं के लिए प्रभावी शिक्षण वातावरण उपलब्ध कराना
  • आत्म-ज्ञान का विकास कर छात्रों में महत्वपूर्ण सोच और विश्लेषणात्मक कौशल को बढावा देना। यह कक्षा को शिक्षक केंद्रित स्थल से बदलकर विद्यार्थी केंद्रित शिक्षण केन्द्र में बदल देगा
  • दूरस्थ शिक्षा एवं रोजगार प्रदान करने के लिए दृश्य-श्रव्य एवं उपग्रह आधारित उपकरणों के माध्यम से सूचना व संचार प्रौद्योगिकी के प्रयोग को बढ़ावा देना।
सूचना और संचार प्रौद्योगिकी का  महत्व-:
आजकल शिक्षा क्षेत्र में, विशेष रूप से शैक्षणिक गतिविधियों में प्रौद्योगिकी को सशक्त करने की प्रक्रिया में सूचना और संचार प्रौद्योगिकी (सू.सं.प्रौ.) महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। सू.सं.प्रौ. के नकारात्मक प्रभावों का पूर्वानुमान लगाने और दूर करने के लिए शिक्षा क्षेत्र सबसे प्रभावशाली क्षेत्र हो सकता है। दूसरी तरफ प्रौद्योगिकी, छात्र के ज्ञान को बढ़ाने का सबसे प्रभावशाली तरीका हो सकती है। 
शिक्षा में सू.सं.प्रौ. का उपयोग, शिक्षा की प्रभावशीलता को बढ़ाते हुए अध्यापन और अध्ययन की गुणवत्ता बढ़ाता है। इसने अध्ययन में एक आयाम जोड़ा है, जो पहले उपलब्ध नहीं था। विद्यालयों में सू.सं.प्रौ. की शुरूआत के बाद से छात्रों को पारंपरिक कक्षा के वातावरण की तुलना में प्रौद्योगिकी वर्धित वातावरण में पढ़ना ज्यादा स्फूर्तिदायक और रूचिकर लगता है। यह अनुसंधान और विद्ववत्तापूर्ण संचार को सुगम बनाती है। शिक्षा क्षेत्र के लिए सू.सं.प्रौ. का प्रभाव और क्षमता कई गुना है। शिक्षा कर्मियों की नई भूमिका और कार्यों के साथ सू.सं.प्रौ. का विवेकशील प्रयोग करने से, ज्यादा कुशल और प्रभावी शिक्षण प्रक्रिया लाई जा सकती है।’ यहाँ पर मुख्य मुद्दा है, छात्रों, पालकों और शिक्षकों के आपस के अंतर को मिटाना, जिससे तीनों के बीच प्रभावी बातचीत और पारदर्शिता आए। विद्यालयों में सीखने की संस्कृति को बढ़ावा देने और दूसरों के साथ जानकारी और अनुभव साझा करने में विद्यालयों की मदद करने को भी उतना ही महत्व दिया जाना चाहिए।   
भारत में सूचना प्रौद्योगिकी के महत्वपूर्ण पहल-:
  • रेलवे टिकट एवं आरक्षण का कम्प्यूटरीकरण
  • बैंकों का कम्प्यूतारीकरण एवं एटीएम की सुविधा
  • इंटरनेट से रेल टिकट, हवाई टिकट का आरक्षण
  • इंटरनेट से एफआईआर
  • न्यायालयों के निर्णय आनलाइन उपलब्ध कराये जा रहे हैं.
  • किसानों के भूमि रिकार्डों का कम्प्यूटरीकरण
  • इंजीनियरिंग में प्रवेश के लिए आनलाइन आवेदन एवं आनलाइन काउंसिलिंग
  • आनलाइन परीक्षाएं
  • कई विभागों के टेंडर आनलाइन भरे जा रहे हैं.
  • पासपोर्ट, गाडी चलाने के लाइसेंस आदि भी आनलाइन भरे जा रहे हैं.
  • कई विभागों के 'कांफिडेंसियल रिपोर्ट' आनलाइन भरे जा रहे हैं.
  • शिकायेतें आनलाइन की जा सकतीं है.
  • सभी विभागों कई बहुत सारी जानकारी आनलाइन उपलब्ध है. [[सूचना का अधिकार' के तहत भी बहुत सी जानकारी आनाइन दी जा रही है.
  • आयकर की फाइलिंग आनलाइन की जा सकती है.
सूचना प्रौद्योगिकी का प्रभाव-:
  • सूचना प्रौद्योगिकी ने पूरी धरती को एक गाँव बना दिया है। इसने विश्व की विभिन्न अर्थव्यवस्थाओं को जोड़कर एक वैश्विक अर्थव्यवस्था को जन्म दिया है। यह नवीन अर्थव्यवस्था  अधिकाधिक रूप से सूचना के रचनात्मक व्यवस्था व वितरण पर निर्भर है। इसके कारण व्यापार और वाणिज्य में सूचना का महत्व अत्यधिक बढ गया है।
  • सूचना क्रान्ति से समाज के सम्पूर्ण कार्यकलाप प्रभावित हुए हैं - धर्म, शिक्षा (e-learning), स्वास्थ्य (e-health), व्यापार (e-commerce), प्रशासन, सरकार (e-govermance), उद्योग,  अनुसंधान व विकास, संगठन, प्रचार आदि सब के सब क्षेत्रों में कायापलट हो गया है । आज का समाज सूचना समाज कहलाने लगा है।
सूचना प्रौद्योगिकी ने पूरी धरती को एक गाँव बना दिया है। इसने विश्व की विभिन्न अर्थव्यवस्थाओं को जोड़कर एक वैश्विक अर्थव्यवस्था को जन्म दिया है। यह नवीन अर्थव्यवस्था अधिकाधिक रूप से सूचना के रचनात्मक व्यवस्था व वितरण पर निर्भर है। इसके कारण व्यापार और वाणिज्य में सूचना का महत्व अत्यधिक बढ गया है। इसीलिए इस अर्थव्यवस्था को सूचना अर्थव्यवस्था (Information Economy) या ज्ञान अर्थव्यवस्था (Knowledge Economy) भी कहने लगे हैं। वस्तुओं के उत्पादन (manufacturing) पर आधारित परम्परागत अर्थव्यवस्था कमजोर पड़ती जा रही है और सूचना पर आधारित सेवा अर्थव्यवस्था (service economy) निरन्तर आगे बढती जा रही है। सूचना क्रान्ति से समाज के सम्पूर्ण कार्यकलाप प्रभावित हुए हैं - धर्म, शिक्षा (e-learning), स्वास्थ्य (e-health), व्यापार (e-commerce), प्रशासन, सरकार (e-govermance), उद्योग, अनुसंधान व विकास, संगठन, प्रचार आदि सब के सब क्षेत्रों में कायापलट हो गया है। आज का समाज सूचना समाज कहलाने लगा है।
सूचना प्रौद्योगिकी के विभिन्न घटक-:
  • कंप्यूटर हार्डवेयर प्रौद्योगिकी
इसके अन्तर्गत माइक्रो-कम्प्यूटर, सर्वर, बड़े मेनफ्रेम कम्प्यूटर के साथ-साथ इनपुट, आउटपुट एवं संग्रह (storage) करने वाली युक्तियाँ (devices) आतीं हैं।
  • कंप्यूटर साफ्टवेयर प्रौद्योगिकी
इसके अन्तर्गत प्रचालन प्रणाली (Operating System), वेब ब्राउजर, डेटाबेस प्रबन्धन प्रणाली (DBMS), सर्वर तथा व्यापारिक/वाणिज्यिक साफ्टवेयर आते हैं।
  • दूरसंचार व नेटवर्क प्रौद्योगिकी
इसके अन्तर्गत दूरसंचार के माध्यम, प्रक्रमक (Processor) तथा इंटरनेट से जुडने के लिये तार या बेतार पर आधारित साफ्टवेयर, नेटवर्क-सुरक्षा, सूचना का कूटन (क्रिप्टोग्राफी) आदि हैं।
  • मानव संसाधन
तंत्र प्रशासक (System Administrator), नेटवर्क प्रशासक (Network Administrator) आदि
  • आई टी कंपनियाँ
भारत मे सूचना प्रौद्योगिकी का विकास पिछ्ले वर्षो मे बडी तेज़ी से हुआ है। सूचना प्रौद्योगिकी के क्षेत्र मे भारत में कई बहुराष्ट्रीय कंपनियाँ है। उनमें से प्रमुख हैं -
  • इंफोसिस (Infosys)
  • टी.सी.एस. (Tata Consultancy Services)
  • विप्रो (WIPRO)
  • सत्यम (Satyam)
  • बहुराष्ट्रीय
  • इंटेल (Intel)
  • माइक्रोसॉफ़्ट (Microsoft)
  • टी.आई. (Texas Instruments)
  • गूगल (Google)
  • याहू (Yahoo)
सैप लैब्स इंडिया (SAP Labs India). सैप लैब्स इंडिया की पितृ संस्था SAP AG है जो जर्मनी में स्थित है।
ऑरेकल (Oracle Corporation)
वर्तमान चरण में शैक्षिक प्रक्रिया को एक रचनात्मक व्यक्तित्व का गठन सुनिश्चित करना चाहिए, जो गतिविधि के सभी क्षेत्रों में आईसीटी के व्यापक प्रसार और कार्यान्वयन के साथ गतिविधि के लिए तैयार हो। डिस्टेंस लर्निंग (दूरी ओलंपियाड, प्रतियोगिताओं, पाठ्यक्रम, आदि) के तत्व सीखने की प्रक्रिया में प्रवेश करते हैं और तेजी से उपयोग किए जा रहे हैं। आईसीटी उपकरण एक ऐसा उपकरण है जो न केवल छात्रों को कंप्यूटर विज्ञान के विभिन्न ज्ञान प्रदान करता है, बल्कि इसका अर्थ है कि छात्र की रचनात्मक क्षमताओं, शोध करने की क्षमता और असाइनमेंट - प्रोजेक्ट को पूरा करना। इसके अलावा, विश्व सूचना संसाधनों तक दूरसंचार पहुंच की संभावना काफी प्रभावी रूप से पर्यावरण सीखने वाले छात्रों की व्यक्तिगत धारणा को प्रभावित करती है।
इंटरनेट पर काम करते समय छात्रों की स्वतंत्रता (सूचनाओं की खोज, परियोजनाओं को पूरा करना, दूरस्थ प्रतियोगिताओं, प्रतियोगिताओं में भाग लेना) हमें अनुभूति और आत्म-विकास के लिए इंटरनेट के साथ काम करने वाले वैश्विक कंप्यूटर नेटवर्क पर विचार करने की अनुमति देता है, जो बदले में, छात्र की सामाजिक गतिविधि के प्रकटीकरण में योगदान देता है। समाज की सामान्य सूचना संस्कृति स्कूल शिक्षा की प्रक्रियाओं में आईसीटी कार्यान्वयन की प्रभावशीलता के साथ अटूट रूप से जुड़ी हुई है। शिक्षक के रूप में इंटरनेट का उपयोग करने से कई समस्याएं पैदा होती हैं, जिसका समाधान विज्ञान और व्यवहार के कई विषयों की प्रभावी बातचीत पर निर्भर करता है: सूचनात्मक समाज में शैक्षिक गतिविधियों के आयोजन के लिए शैक्षिक पोर्टल और प्रशिक्षण कार्यक्रमों के निर्माता, कार्यप्रणाली और शिक्षक।
पुस्तकालय का अर्थ -:
पुस्तकालय को हिन्दी में पुस्तकालय कहते हैं, जिसका संधि विच्छेद करने पर “पुस्तक” + “आलय” होता है, आलय का अर्थ होता है “स्थान”. इसी प्रकार पुस्तकालय का अर्थ हुआ “पुस्तकों का स्थान”.  पुस्तकालय में तरह – तरह की किताबों का संग्रह होता है. यहाँ हर उम्र के व्यक्ति के लिए उसकी रुचि के अनुसार किताबें उपलब्ध रहती हैं. प्राचीन काल में शिक्षा पद्धति इतनी उन्नत नहीं थी और साथ ही पुस्तकों का भी अभाव था इसलिए पुस्तकालय की स्थापना की गई जहां पर सभी प्रकार की पुस्तकें उपलब्ध करवाई जाती थी ताकि सभी लोग आकर उन पुस्तकों से ज्ञान अर्जित कर सकें. शिक्षा के क्षेत्र में यह बहुत ही अच्छा कदम साबित हुआ. एक सार्वजनिक पुस्तकालय में धर्म साहित्य वाणिज्य कला विज्ञान पत्र पत्रिकाएं बच्चों के मनोरंजन के लिए ज्ञानवर्धक एवं चुटकुलों की किताब और पुराने ग्रंथ दादी सभी प्रकार की पुस्तकें उपलब्ध होती है. पुस्तकालय में कोई भी व्यक्ति जाकर अपनी इच्छा के अनुसार किताबों का चयन करके उसे पुस्तकालय में बैठ कर पढ़ सकता है कुछ पुस्तकालय में किताबें कुछ समय के लिए घर पर ले जाने के लिए भी दी जाती है. पुस्तकालयों के कारण नई नई किताबें पढ़ने वाले जिज्ञासु लोगों और ज्ञान की वृद्धि करने के लिए विद्यार्थियों को बहुत अधिक लाभ हुआ
पुस्तकालय का महत्त्व व लाभ -:
किताबें इन्सानों की सबसे अच्छी दोस्त होती हैं. जैसे व्यक्ति अपने  दोस्त का हर पल, हर घड़ी, हर मुश्किल में साथ देते हैं, वैसे ही किताबें भी हर विषम परिस्थिति में मनुष्य की सहायक होती है. किताबों में हर मुश्किल सवाल, परिस्थिति का हल छुपा होता है. इंसान किसी भी दुविधा में रहे, किताबों को पढ़ने से, समझने से उसकी सोच का विस्तार होता है. कुछ लोग किताबें पढ़ने के शौकीन होते हैं. किताबों से भरे उस कमरे की जिसे “पुस्तकालय” या “Library” कहते हैं. अपने स्कूल या कॉलेज के दौरान हम सभी कई बार पुस्तकालय गए होंगे
भारत के कुछ पुस्तकालय-:
भारत में बहुत कम और चुनिन्दा पुस्तकालय हैं. नीचे कुछ प्रमुख पुस्तकालयों के नाम तथा उनकी जगह दी गयी है
गौतमी ग्रंधालयम : राजामुन्द्री, आंध्र प्रदेश.
खुदा बख्श ओरिएंटल लाइब्रेरी : पटना
सिन्हा लाइब्रेरी : पटना
माँ चंद्रकांता जी पब्लिक लाइब्रेरी : पटना
बूक्वोर्क चिल्ड्रन : पणजी (गोवा)
गोवा सेंट्रल लाइब्रेरी : पणजी
डॉ. फ्रान्सिस्को लुईस गोमेस डिस्ट्रिक्ट लाइब्रेरी : साउथ गोवा
स्टेट सेंट्रल लाइब्रेरी : तिरुवनन्तपुरम
गुलाब बाघ पब्लिक लाइब्रेरी : उदयपुर, राजस्थान
मौलाना आजाद लाइब्रेरी : अलीगढ़, उत्तर प्रदेश
नेशनल लाइब्रेरी ऑफ इंडिया : पश्चिम बंगाल
दयाल सिंह लाइब्रेरी : दिल्ली
जामिया हमदर्द लाइब्रेरी : दिल्ली
पुस्तकालय की विशेषता –
(1) पुस्तकालयों की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि पाठकों को अंतर्मुखी और चिंतनशील बनाते है.
(2) पुस्तकालय में पुस्तक पढ़ने के लिए शांत माहौल मिलता है जिसे एकाग्र होकर हम पढ़ाई कर सकते है.
(3) पुस्तकालय में देश दुनिया में क्या हो रहा है और आगे क्या होने वाला है इसका पता लगता है
(4) पुस्तक पढ़ने से हमारे सोचने समझने की शक्ति का विकास होता है.
(5) प्रसिद्ध मनोवैज्ञानिक समीक्षक आर. ए. रिएर्ड्स लिखा था कि अगर हम किसी अच्छी पुस्तक को पढ़ते हैं तो उससे हमारी सोच बदल जाती है जिससे व्यक्ति का पुन: सर्जन होता है.
(7) यहां पर हमें प्रत्येक भाषा में किताबें पढ़ने को मिलती है इसलिए किसी भी देश का नागरिक यहां पर आकर किताबें पढ़ सकता है.
(8) पुस्तकें हमें दूसरे देशों की संस्कृतियों और सामाजिक जीवन से जोड़ती है.
निष्कर्ष-:
आई.सी.टी. के सन्दर्भ में एक खोजपूर्ण प्रयास की आवश्यकता है। प्रेरणा शक्ति को प्रोत्साहित करने का यह सही समय है क्योंकि आशा है कि आई.सी.टी. के परिपालन से जीवन के हर क्षेत्र में प्रबल उन्नति को प्राप्त किया जा सकता है। कम्प्यूटर आधारित शिक्षा तकनीकों का उपयोग भारत की प्रसिद्ध शिक्षा प्रणाली और संस्थानों द्वारा अपनाया गया है। शब्दों और प्रतीकों की विविधता कम्प्यूटर की महान शक्ति है जो शैक्षणिक प्रयास का केंद्र है। ई-लर्निंग और दूरस्थ शिक्षा कार्यक्रमों में ऑनलाइन शिक्षा के माध्यम से शिक्षण अधिक रोचक और आसान हो रहा है। इंटरनेट तथा वर्ल्ड वाइड वेब के माध्यम से शिक्षक अपने विद्यार्थियों तक पहुँच सकते हैं और उनको घर बैठे पढ़ा सकते हैं। इंटरनेट मानव ज्ञान का एक उच्चतम संग्रह है। आई.सी.टी. डिजिटल पुस्तकालय जैसे डिजिटल संसाधनों के सृजन की अनुमति देता है, जहाँ विद्यार्थी, शिक्षक और व्यवसायी शोध सामग्री तथा पाठ्यक्रम सामग्री तक पहुँच सकते हैं। आई.सी.टी. शैक्षणिक संस्था के दिन-प्रतिदिन के प्रशासनिक गतिविधियों को आसान और पारदर्शी तरीके से नियंत्रित करने तथा समन्वय और निगरानी के लिये अवसर प्रदान करता है। पंजीकरण/नामांकन, पाठ्यक्रम आवंटन, उपस्थिति की निगरानी, समय सारिणी/वर्ग अनुसूची, प्रवेश के लिये आवेदन, छात्रों के दाखिले में जाँच इस तरह की जानकारियाँ ई-मीडिया द्वारा पाई जा सकती हैं
संदर्भ-:
  1. https://hindi.indiawaterportal.org
  2. https://therusticsapienhindi.wordpress.com/role-of-ict/
  3. http://hi.vikaspedia.in/education/teachers-corner/teachers-teaching-and-icts
  4. https://hi.wikipedia.org
  5. https://www.franchiseindia.com/hi/content/effectiveness-of-ict-in-education.10155
  6. https://sites.google.com/site/eshikshabharat/home/critical-understanding-of-ict-a-i-si-ti-ki-mahatpapurna-samajha
  7. http://parisanrachnait.blogspot.com/2017/02/blog-post.html
  8. द इंडीपेंडेंट आईसीटी (ICT) इन स्कूल्स कमीशन (1997) इन फॉर्म फौर्मेशन एंड कम्युनिकेशन टेक्नोलॉजी इन यूके स्कूल्स, एन इंडीपेंडेंट इन्क्वैरी. लंदन, ब्रिटेन. लेखक: कुर्सी डेनिस स्टीवेंसन
  9. ग्रॉसमैन जी और ई. हेल्पमैन (2005), "एक वैश्विक अर्थव्यवस्था में आउटसोर्सिंग", आर्थिक अध्ययनों की समीक्षा 72: 135-159.
  10. वाल्टर औंग, ओरैलिटी और साक्षरता: द टेक्नोलोजाइजिंग ऑफ़ द वर्ड (लंदन, ब्रिटेन: रूटलेज, 1988)
  11. https://www.taiyarinews.com/hindiessay/post/essay-on-library-in-hindi
  12. मीनाकुमारी जे. एवं कृष्णावेनी, आर. (2010) आई.सी.टी. बेस्ड एण्ड लर्निंग इन हायर एजूकेशन-ए स्टडी, इंटरनेशनल जर्नल ऑफ कम्प्यूटर एण्ड इमर्जिंग टेक्नोलॉजीज।
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